अनु मलिक से क्यों इतनी नफरत करते हैं अरुण बख्शी जी

1. अरुण बख्शी: शुरुआती सफ़र की झलक

  • अरुण बख्शी, 11 जून 1958 को लुधियाना, पंजाब में जन्मे, बचपन से ही कला के शौकीन थे।

  • मुंबई आ कर उन्होंने एक्टिंग और सिंगिंग दोनों में हाथ आजमाया। 1980 के दशक में फ़िल्मी दुनिया में नाम बनाने की जद्दोजहद शुरू हुई।

  • एक्टिंग के साथ-साथ उन्होंने कई फिल्मों में प्लेबैक सिंगिंग भी की, लेकिन “मेरा ईमान” जैसी बड़ी फ़िल्म का मौका मिलने से पहले उनके दिन संघर्ष में गुज़रते थे। 


2. “मेरा ईमान” का क़िस्सा: प्रस्ताव और पहली मुलाकात

सन 1985–86 में, अरुण के दोस्त डायरेक्टर अशोक त्यागी और प्रोड्यूसर टी.पी. अग्रवाल ने एक फ़िल्म अनाउंस की—नाम था “मेरा ईमान”। इस फ़िल्म के लिए धर्मेंद्र, गोविंदा और स्मिता पाटिल जैसे सितारे कास्ट कर लिए गए थे।

  • अशोक त्यागी चाहते थे कि अरुण बख्शी जी न केवल एक छोटा-सा रोल करें, बल्कि चार लाइनें भी गाकर दिखाएँ।

  • इस काम के लिए अरुण बख्शी की मुलाकात अनु मलिक से तय की गई।

 

  • अरुण बख्शी जब अनु मलिक से मिले, तो सरसरी नज़र में अनु मलिक ने उन्हें देखा और चौंक कर पूछा,

     

    अनु मलिक: “इसे गवाएंगे?”

  • अरुण चुपचाप खामोश रहे, लेकिन मन ही मन मुस्कुरा रहे थे—क्योंकि वे जानते थे कि यदि निर्देश दिये गए हैं तो उन्हें पूरा करना ही होगा।

  • अशोक त्यागी जी ने कहा, “हाँ, ये चार लाइनें अरुण से ही रिकॉर्ड करनी हैं, वे एक्टिंग भी कर रहे हैं।” अनु मलिक को इठलाहट रोकने की मजबूरी में अरुण की रिकॉर्डिंग शुरू करनी पड़ी।


3. रिकॉर्डिंग का लंबा सफर: मज़ाक़ vs मज़ाक़िया रवैया

 

  • सुबह 11:30 बजे जब रिकॉर्डिंग शुरू हुई, अरुण बख्शी ने दिल खोल कर गाना गाया—लेकिन अनु मलिक हर बार उनकी आवाज़ को रिजेक्ट कर देते और फिर से रिकॉर्ड कराने कहते।

  • कई घंटे बीतते गए: अनु मलिक बीच-बीच में तंज़ भी कसते,

    “ये कैसी आवाज़ है! किसे लेकर आए हो?”

  • अरुण बख्शी जी ने एक इंटरव्यू में बताया कि असल में अनु मलिक खुद वो चार लाइनें गाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने जानबूझकर अरुण को टेंशन में रखा था—ताकि रिकॉर्डिंग में उनकी “ड्रामा” बनी रहे।

  • दस घंटे बाद, शाम 6:15 बजे तक जब पेशेवर अशोक त्यागी और टी.पी. अग्रवाल परेशान हो उठे, उन्होंने सीधे अनु मलिक से कहा,

    टी.पी. अग्रवाल: “आप हमारे सिंगर को हैरेस क्यों कर रहे हो? अरुण की आवाज़ हमें काफी अच्छी लग रही है!”

  • इस पर अनु मलिक के पास कोई चारा न बचा—उन्हें अरुण बख्शी जी की आवाज़ को मंज़ूर करना पड़ा।


4. “मेरा ईमान” रिलीज़ नहीं हुई, लेकिन अरुण का करियर चला आगे

  • दुर्भाग्यवश, “मेरा ईमान” फ़िल्म कभी रिलीज़ नहीं हो सकी—पर अरुण बख्शी जी ने उस चार-लाइनर गाने की रिकॉर्डिंग से ज़रूर सीख ली कि उद्योग में स्थायी स्थान बनाने के लिए वज़नदार टैलेंट चाहिए।

  • उस समय के बाद, अरुण बख्शी ने अपनी गायकी से धमाका किया। कई गीत उन्होंने रिकॉर्ड किए, जो धीरे-धीरे हिट हो गए। उनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी, और लोग मुझसे मिलने के लिए बेकरार रहने लगे।


5. करारा जवाब: महबूब स्टूडियो की घटना

  • मुश्किल दौर के बाद जैसे ही अरुण बख्शी की शख्सीयत बलवती हुई, एक दिन महबूब स्टूडियो में असली मुँह दिखाई देने का मौका आया।

  • अरुण बख्शी किसी काम से महबूब स्टूडियो में गए थे—वहीं अचानक अनु मलिक का सामना हुआ।

  • अनु मलिक ने जैसे ही अरुण के पास जाकर दोस्ताना गले मिलने की कोशिश की, अरुण बख्शी ने उन्हें धक्का देकर दूर कर दिया और कहा,

    अरुण बख्शी: “मुझसे दूर ही रहो!”

  • उस दिन अनु मलिक का चेहरा छोटा सा रह गया। आगे जब भी अनु मलिक कहीं अरुण बख्शी से मिले, अरुण जी ने उनकी खूब बेइज़्ज़ती की। अरुण बख्शी का कहना है:

    “इंडस्ट्री में एक स्ट्रगलर के साथ अनु मलिक ने जैसा बेहूदा बर्ताव किया था, आज वही अनु मलिक वैसा ही महसूस कर रहे हैं।”


6. अरुण बख्शी का सफ़र: संघर्ष से स्टार तक

  • अरुण बख्शी का जिस्मानी चश्मा हो या आवाज़ का ख़ज़ाना—दोनों में उन्होंने स्थिरता दिखाई।

  • उनकी लोकप्रियता ने उन्हें बड़ा मंच दिया: वे अब फ़िल्म–टीवी दोनों में सक्रिय हैं—अपनी आवाज़ और अभिनय से मशहूर।

  • हाल के सालों में अरुण ने कई पंजाबी और हिंदी फिल्मों के गीत गाए, ख़ासतौर से 1990 के दशक में “ये दिल दीवाना है”, “तेरा मेरा प्यार” जैसी धुनों से घर-घर में पहचान बनाई।


7. अनु मलिक: संगीत की दुनिया के चमकते सितारे में उतार–चढ़ाव

  • अनु मलिक, 2 नवंबर, 1960 को मुंबई में जन्मे, संगीतकार परिवार से ताल्लुक रखते हैं।

  • 1980 के दशक से उन्होंने बॉलीवुड में अपना नाम बनाया—लेकिन अपनी “उच्च आत्म–परक” प्रवृत्ति के कारण कई कलाकारों के साथ रिश्ता टकराव वाला रहा।

  • अरुण बख्शी के मामले के अलावा भी अनु मलिक के इंटरव्यूज़ में अक्सर इसी अंदाज़ के किस्से आए।

  • हालाँकि समय के साथ—कई मौकों पर अनु मलिक ने माफी भी मांगी, पर अरुण जी दिल से माफ़ नहीं कर सके।


8. अरुण बख्शी जी को जन्मदिन की शुभकामनाएँ!

आज 11 जून अरुण बख्शी जी का जन्मदिन है। (1958)
पंजाब के लुधियाना से निकले इस कलाकार ने संघर्ष में भी असेस्मेंट नहीं छोड़ा, और अपने सम्मान के लिए किसी से समझौता नहीं किया।

टीवी व संस्कृति जगत, फ़िल्मों की दुनिया में अरुण बख्शी का योगदान अमूल्य है। उनकी आवाज़ ने एक दौर के कई गीतों को अमर कर दिया।

  • अरुण बख्शी अब अपनी ज़िंदगी का अगला अध्याय यानि एक्टिंग और सिंगिंग—दोनों ही क्षेत्रों में अनगिनत यादें बनने के कगार पर हैं।

अरुण बख्शी जी को किस्सा टीवी की ओर से जन्मदिन की ढेरों–ढेर शुभकामनाएँ!
आपकी सादगी, संघर्ष और आत्मसम्मान की कहानी हम सबको प्रेरित करती रहेगी।