प्रमुख फिल्में और भूमिकाएँ

बाबा साहेब की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा.....!! #shorts #viral #video # ...

प्राण साहब (पूरा नाम: प्राण कृष्ण सिकंद) हिंदी सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित और बहुआयामी अभिनेताओं में से एक थे। उनका जन्म 12 फरवरी 1920 को लाहौर (अब पाकिस्तान में) में हुआ था और उन्होंने 12 जुलाई 2013 को मुंबई में अंतिम सांस ली। अपने छह दशकों से अधिक के करियर में, प्राण ने 350 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया, जिसमें उन्होंने खलनायक, चरित्र अभिनेता और सहायक भूमिकाओं में अपनी छाप छोड़ी। 


🎬 प्रमुख फिल्में और भूमिकाएँ

प्राण साहब ने कई यादगार फिल्मों में अभिनय किया, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

  • उपकार (1967): इस फिल्म में उन्होंने 'मंगल चाचा' की भूमिका निभाई, जो एक देशभक्त और सहायक चरित्र था। इस भूमिका के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला।

  • जंजीर (1973): इस फिल्म में उन्होंने 'शेर खान' की भूमिका निभाई, जो एक पठान था और अमिताभ बच्चन के किरदार का मित्र बनता है। यह भूमिका उनके करियर की सबसे यादगार भूमिकाओं में से एक मानी जाती है।अमर अकबर एंथनी (1977): इस फिल्म में उन्होंने तीनों मुख्य पात्रों के पिता की भूमिका निभाई, जो फिल्म की भावनात्मक धुरी थी।

  • डॉन (1978): इस फिल्म में उन्होंने 'जसजीत' की भूमिका निभाई, जो अपने बच्चों की तलाश में एक पिता की भूमिका में थे। उनका अभिनय इस फिल्म में भी सराहनीय था।

  • मधुमती (1958): इस क्लासिक फिल्म में उन्होंने एक खलनायक की भूमिका निभाई, जो आज भी दर्शकों को याद है।


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🏆 सम्मान और पुरस्कार

प्राण साहब को उनके अभिनय के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा गया, जिनमें शामिल हैं:

 
  • पद्म भूषण (2001): भारत सरकार द्वारा उन्हें तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया।

  • दादा साहेब फाल्के पुरस्कार (2013): भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान से उन्हें उनके जीवन भर के योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

  • फिल्मफेयर पुरस्कार: उन्होंने तीन बार सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार जीता।


👨‍👩‍👧‍👦 व्यक्तिगत जीवन

प्राण साहब ने 1945 में शुक्ला सिकंद से विवाह किया और उनके तीन बच्चे हैं: दो बेटे (अरविंद और सुनील) और एक बेटी (पिंकी)। उनके पुत्र सुनील सिकंद ने भी फिल्म निर्देशन में कदम रखा। 


प्राण साहब की अभिनय यात्रा और उनके द्वारा निभाए गए विविध किरदार उन्हें हिंदी सिनेमा के इतिहास में एक अमिट स्थान दिलाते हैं। उनकी भूमिकाएँ आज भी दर्शकों के दिलों में जीवित हैं।