चन्ना रूपारेल: नीली आंखों वाली देवी का फसलौना सफर
लोगों ने टीवी पर उनकी शान देखी—पर अब मीडिया से दूर, उनकी याद शेष बची है उन ही गुमनामियों में। आइए, किस्सा टीवी फिर से जगाए आपकी पुरानी यादें, पेश हैं चन्ना रूपारेल की 54वीं सालगिरह पर उनकी कहानी, दिलचस्पी से भरपूर:
बचपन से सितारे बनने तक
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जन्म: 17 मई 1971, मुंबई
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स्कूल-कॉलेज में नृत्य और नाट्य प्रतियोगिताओं में मंच छूती चन्ना की नीली आंखों ने ही मॉडलिंग में पहला मुकाम बनाया।
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टीवी डेब्यू (1987): ‘चुनौती’ में कामिनी बनीं—पहला दौर मिला खूब वाहवाही।
महाभारत की देवी: रुक्मिणी
1988 की दूरदर्शन महाभारत में जब चन्ना रूपारेल ने देवी रुक्मिणी का प्रबल व्यक्तित्व निभाया, तो उनके रूप-भाव और सौन्दर्य ने सब को मंत्रमुग्ध कर दिया। ज़ोरदार संवाद और आत्मविश्वास ने उन्हें देशभर में जादूई प्रसिद्धि दिलाई।
“रुक्मिणी के आभामण्डल में भी, चन्ना की नीली आंखों की गहराई थी।”
स्वाभिमान की मेधा हेगड़े
कुछ वर्षों के ब्रेक के बाद 1994 में लौटकर आईं ‘स्वाभिमान’—महेश भट्ट निर्देशित धारावाहिक, जहाँ मेधा हेगड़े बनीं। अमीर-गरीब के दाव-पेंच में उनकी किरदार की तीव्रता ने दर्शकों का दिल जीत लिया।
अल्पकालीन फिल्म सफर
‘हिमालय के आंचल में’, ‘7 डेज़’, ‘धार’ जैसी फिल्मों में लीड रोल—कम अवसर मिले, पर चन्ना ने अभिनय की जादूगरी दिखाई। दुर्भाग्यवश, ये फिल्में बॉक्स ऑफिस पर टिक न सकीं, और चन्ना ने फिर पर्दे से दूरी बना ली।
जीवन का दूसरा अध्याय: रहस्य और आस्था
चन्ना रूपारेल धार्मिकता और अध्यात्म में गहरी थीं—भगवान शिव की अटल भक्त। सालों से कैमरों से दूरी, सोशल मीडिया पर हल्की-फुल्की उपस्थिति…
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कहीं विदेश की गलियों में शांति तलाश रही?
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या साधु-रूप में किसी तीर्थ में जीवन व्यतीत कर रही?
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या एक शांत पारिवारिक जीवन में सिमट गई?
सच शायद वही जानें, जिन्होंने उनकी नीली आंखों में कभी खोया था।
जन्मदिन की शुभकामनाएँ
उनके उन लाखों फैंस के लिए, जो आज भी उस मुस्कान और किरदारों को याद करते हैं,
“चन्ना जी, आपका हर दिन आनंदमय हो—आप जहां भी हों, खुश रहें!”