Mukesh Chand Mathur

मुकेश चंद माथुर, जिन्हें हम सभी 'मुकेश' के नाम से जानते हैं, हिंदी सिनेमा के एक ऐसे गायक थे, जिनकी आवाज़ ने करोड़ों दिलों को छुआ। उनका जन्म 22 जुलाई 1923 को दिल्ली में हुआ था । मुकेश जी का सफर एक साधारण युवक से लेकर बॉलीवुड के महानतम गायकों में से एक बनने तक का रहा है।


🎶 शुरुआती जीवन और संगीत में रुचि

मुकेश जी के पिता, ज़ोरावर चंद माथुर, एक इंजीनियर थे। मुकेश जी दस भाई-बहनों में छठे नंबर पर थे। उनकी बहन को संगीत सिखाने के लिए एक संगीत शिक्षक घर आया करते थे, जिन्हें देखकर मुकेश जी को भी संगीत में रुचि हुई। उन्होंने स्कूल के दिनों में ही गाना शुरू कर दिया था।


🎤 करियर की शुरुआत

मुकेश जी की बहन की शादी में, जब डीजे नहीं हुआ करते थे, उन्हें गाने के लिए कहा गया। उन्होंने के.एल. सहगल का एक गाना गाया, जिसे सुनकर मुंबई से आए दो मेहमान प्रभावित हुए। उनमें से एक थे अभिनेता मोतीलाल, जो मुकेश जी के दूर के रिश्तेदार भी थे। मोतीलाल जी ने मुकेश जी को मुंबई आने का न्योता दिया और उन्हें फिल्म 'निर्दोष' (1941) में अभिनय और गायन का मौका दिलाया। हालांकि, यह फिल्म सफल नहीं हुई और मुकेश जी को कई अन्य काम करने पड़े।Mukesh Chand Mathur Voice of the Millennium


🎼 प्लेबैक सिंगिंग में सफलता

1945 में, फिल्म 'पहली नजर' में मुकेश जी ने 'दिल जलता है तो जलने दे' गाना गाया, जो बहुत लोकप्रिय हुआ। इस गाने के बाद उन्हें 'नया सहगल' कहा जाने लगा। इसके बाद, उन्होंने 'आवारा', 'श्री 420', 'अनाड़ी', 'संगम', 'मेरा नाम जोकर', 'सावन का महीना', 'कभी कभी' जैसी फिल्मों में यादगार गाने गाए।


👨‍👩‍👧‍👦 व्यक्तिगत जीवन

मुकेश जी का विवाह 1946 में सरल त्रिवेदी से हुआ। उनके एक बेटा, नितिन मुकेश, और दो बेटियाँ थीं। नितिन मुकेश भी एक प्रसिद्ध गायक हैं, और उनके पोते नील नितिन मुकेश बॉलीवुड के अभिनेता हैं 


📺 वीडियो

मुकेश जी के जीवन पर आधारित एक विस्तृत वीडियो यहां देखा जा सकता है:

 

 

मुकेश जी की आवाज़ आज भी हमारे दिलों में गूंजती है। उनके गाए गीतों ने उन्हें अमर बना दिया है। उनकी सादगी, भावनात्मक अभिव्यक्ति और मधुरता उन्हें अन्य गायकों से अलग बनाती है। उनकी याद में, हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।