Rajendra Krishan

"बाबुल की दुआएं"

समय: पुराने दौर का एक अद्भुत समय, दिल्ली में एक शादी का समारोह।
स्थान: दिल्ली में एक भव्य शादी का आयोजन हो रहा था, जिसमें बॉलीवुड और साउथ इंडियन फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कई बड़े सितारे शरीक होने के लिए आए थे।


सीन 1: दिल्ली में शादी का आयोजन

यह कहानी एक पुराने दौर के महान गीतकार राजेंद्र कृष्ण की बेटी की शादी के दिन की है। वह इस फ़िल्मी दुनिया के एक मशहूर नाम थे, और उनकी बेटी की शादी में फ़िल्म इंडस्ट्री के तमाम लोग शरीक थे। शादी का माहौल शानदार था, हर जगह रौनक थी, और हर किसी के चेहरे पर खुशी की झलक थी।

रवि जी, जो एक प्रसिद्ध संगीतकार थे, भी इस शादी में मौजूद थे। पार्टी के बीच में राजेंद्र कृष्ण जी रवि जी के पास गए और कहा:

राजेंद्र कृष्ण (मुस्कुराते हुए):
"रवि, इस शादी में शिरकत करने आए सभी मेहमानों का दिल बहलाने के लिए एक गाना गाओ।"

रवि जी (सावधानी से):
"मैं विदाई के समय एक गाना गाऊँगा। अभी नहीं गाऊँगा।"

राजेंद्र कृष्ण जी इस बात को सोचते हुए वहाँ से चले गए, और मन ही मन सोचने लगे कि "विदाई के समय रवि जी कौन सा खास गाना गाएंगे?" 


सीन 2: विदाई का समय

जब विदाई का समय आया, तो सब लोग अपने-अपने स्थानों पर खड़े हो गए। उस पल की गंभीरता और इमोशन को महसूस करते हुए रवि जी ने माइक लिया और गाना शुरू किया:

रवि जी (गाते हुए):
"बाबुल की दुआएं लेती जा...
जा तुझको सुखी संसार मिले...
मायके की कभी ना याद आए...
ससुराल में इतना प्यार मिले..."

 

गाना शुरू होते ही सभी लोगों की आंखों में आंसू आ गए थे। यह गाना सिर्फ एक गीत नहीं था, बल्कि यह हर व्यक्ति के दिल में छिपे भावनाओं को बाहर ला रहा था।

राजेंद्र कुमार, जो खुद एक बड़े अभिनेता थे, भी इस गाने को सुनकर भावुक हो गए। उनके आँखों में भी आंसू थे।


सीन 3: गाने के बाद की प्रतिक्रिया

जब रवि जी ने गाना खत्म किया, तो राजेंद्र कुमार जी रवि जी के पास गए और उनसे पूछा:

राजेंद्र कुमार (भावुक होकर):
"यह गाना किस फिल्म का है?"

रवि जी (मुस्कुराते हुए):
"यह गाना नील कमल फिल्म का है।"

राजेंद्र कुमार (आश्चर्यचकित होकर):
"यह गाना सच में बहुत ही खूबसूरत है। यह गाना सच्चे अर्थों में कालजयी है।"

यह गाना रवि जी की बेहतरीन संगीत, मोहम्मद रफी की मधुर गायकी और साहिर लुधियानवी के शब्दों का बेहतरीन मेल था। यही कारण था कि यह गाना एक महान रचनात्मक कृति बन गया। आज के दौर में ऐसे गाने शायद ही सुनने को मिलते हैं।