Manoj Kumar and Nanda

मनोज कुमार और नंदा: 'शोर' फिल्म के पीछे की एक अनकही कहानी

बॉलीवुड के 'भारत कुमार' के नाम से प्रसिद्ध मनोज कुमार ने अपने करियर में कई यादगार फिल्में दीं, लेकिन उनकी 1972 में आई फिल्म शोर के पीछे एक ऐसी कहानी है जो आज भी प्रेरणा देती है। इस फिल्म में नंदा ने न केवल एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि उन्होंने बिना किसी पारिश्रमिक के यह भूमिका स्वीकार की, जब अन्य अभिनेत्रियों ने इसे ठुकरा दिया था।

🎬 शोर (1972): एक मार्मिक कहानी

शोर फिल्म की कहानी शंकर (मनोज कुमार) की है, जो एक कारखाने में काम करता है। एक दुर्घटना में उसकी पत्नी गीता (नंदा) अपने बेटे दीपक को बचाते हुए जान गंवा देती है, और दीपक अपनी आवाज खो बैठता है। शंकर अपने बेटे की आवाज वापस लाने के लिए संघर्ष करता है, लेकिन जब दीपक की सर्जरी सफल होती है, तो शंकर एक और दुर्घटना में अपनी सुनने की शक्ति खो देता है। फिल्म का यह भावनात्मक मोड़ दर्शकों को गहराई से छूता है।

🎭 नंदा का निःस्वार्थ योगदान

फिल्म की शुरुआत में गीता की मृत्यु का दृश्य था, जिसके कारण कई प्रमुख अभिनेत्रियों ने यह भूमिका निभाने से इनकार कर दिया। मनोज कुमार ने शर्मिला टैगोर, राखी और स्मिता पाटिल जैसी अभिनेत्रियों से संपर्क किया, लेकिन सभी ने मना कर दिया। तब नंदा ने यह भूमिका निभाने का निर्णय लिया और शर्त रखी कि वह इसके लिए कोई पारिश्रमिक नहीं लेंगी। उनका यह निःस्वार्थ कदम मनोज कुमार के लिए एक बड़ी मदद साबित हुआ।

🎶 संगीत और पुरस्कार

फिल्म का संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने दिया था, जिसमें "एक प्यार का नग़मा है" जैसे गीत आज भी लोकप्रिय हैं। शोर को 20वें फिल्मफेयर पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ संपादन का पुरस्कार मिला और कई अन्य श्रेणियों में नामांकित किया गया।

🕊️ एक अनमोल रिश्ता

मनोज कुमार ने कई बार नंदा के इस एहसान को चुकाने की कोशिश की, लेकिन नंदा ने कभी भी पारिश्रमिक स्वीकार नहीं किया। उनकी यह मित्रता और सहयोग की भावना फिल्म इंडस्ट्री में एक मिसाल है।